Monday, August 27, 2018

शिक्षक दिवस पर कविता -Teachers day poem in Hindi -ARC Writings


शिक्षक दिवस पर कविता  -Teacher's  day poem in Hindi -ARC Writings


 हेलो दोस्तों अगर आप शिक्षक दिवस के लिए हिंदी की कविताएं ढूंढ रहे हैं ,तो आप इस वीडियो को देख सकते हैं। इसमें मैंने शिक्षकों के ऊपर सुंदर सी और ज्ञानवर्धक हिंदी भाषा में कविता लिखी है।  जिसको आप अपने स्कूल में टीचर्स डे के अवसर पर प्रयोग कर सकते हो। यह कविता बिल्कुल नयी है।  जिसकी आप अभी से प्रैक्टिस कर सकते हैं।शिक्षक दिवस के अवसर पर, अपने स्कूल में परफॉर्म करने के लिए ।

यह कविता हिंदी में मैंने गुरुओं के सम्मान में,शिक्षक दिवस के लिए लिखी है । शिक्षकों के लिए, हिंदी में ,आप इस कविता के साथ धन्यवाद कर सकते हैं।


          शिक्षक दिवस (दुनिया) के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरु) को विशेष सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस आयोजित किया जाता है। कुछ देशों में, एक छुट्टी है जबकि कुछ देश इस दिन काम करते हैं।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्ववल्ली राधाकृष्णन (5 सितंबर) का जन्म भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मैं नाजुक सा ही पहुंचा था ,गुरु आपके चरणों में ,
तरास के सजाया धुर्व सा तारा बीच सारे ग्रहों में ,
महफूज हैं बच्चे, सोच बरकरार हर नजर में,
गुऱू आपकी शरण में,हर माँ-बाप बेफिक्र घरों में!
हर गरीब नन्नी जान खातिर,
जो जी रहे अपमान से, बिन दौलत बेदखल ज्ञान से !
ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से,

मैं खाली श्यामपट सा,तस्वीर सी मियाद बढ़ा दी ,
गुरु कहूं या गुड, थी जिंदगी कडवी मिठास  बढ़ा दी ,
वरना कहां इतनी चाहत थी दिल में ,चमकने की,
वह आप थे गुरु, जो चिंगारी से पूरी आग जला दी!
हो बदनसीब पहचान जाहिर,
बुझते दिये जलें,दूर अज्ञान सा अँधेरा,बनें इन्सान से,
 ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से!

हैरान ना होना गुरु मेरे,गर कुछ पल ध्यान ना दूं ,
वह पल जीना दु-श्वर ,जिस पल सम्मान ना दूं,
यूं तगड़ी तादाद है ,बिगाड़ने वालों की मेरी गली में, सुनता सब के भाषण, ना एक शब्द भी योगदान दूँ,
हो गरीब करीब जान हाजिर,
करिश्मे से कम ना होगा, गर दूर की हताशा शान से,
ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से,


और अंत में,
आपकी सेवा में हाज़िर, आपकी दावते खातिर ,
दसक साल का कार्यरत बच्चा.... लगता है शातिर ?

ढाबा से मालिक ईम्तिहांन खातिर..
किताब साथ स्कूल दर्शन बहुत,
     ना अखबार में छपना ,ख्वाब दिखाओ !
साहब ! बिजनेस करना बाद में सीखेंगे ,
              पहले करना सही, हिसाब सिखाओ !
यूँ गरीब कह के, टालो ना अब किस्मत पर,
          अशिक्षा हो दूर, कुछ दम या दबाव बनाओ!


आप खुद गुरू,संकट दूर ना होते सिर्फ व्याखान से,
कुछ मेरे प्रयास से,आपके अभूतपूर्व योगदान से,
चाहत, निकले सूरज सा निर्धन, हर अँधेरे मकान से,
ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से !

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 05 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. अत्यंत सुंदर कविता। गुरु के प्रति श्रद्धा और उनके आधुनिक रूप का सुंदर वर्णन। साथ ही साथ यह सुंदर सन्देश की समाज के वंचित और गरीब बच्चे को भी ज्ञान मिलना चाहिये।

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