Wednesday, September 12, 2018

मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! Hindi poem -ARC WRITINGS


मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! 

नींद में,
खुशी खोज रहा,गम मांगना मत ,
मैं सो रहा हूं, तुम जागना मत,
मिलेंगे सपनों में ,तुम सोचना मत,
देर हो जाए थोड़ी ,राह ताकना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !

हद में,
तेरे ख्वाब नाव से तरेंगे ,दिले समुन्दर,
आंसू लहर देख ,बेवजह कांपना मत,
सजोऊँगा खुशियाँ तेरी,डरके भागना मत,
मैं खो रहा हूं, खोजने झांकना मत !
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !

कद में,
तुझसे छोटा रहूं ,कम आंकना मत,
अगर लिपटा रहूं ,तुम शर्माना मत,
दूभर होता रहूं ,तुम घबराना मत,
लौटूंगा होने रूबरू,लौट जाना मत ,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !

जिद में,
ना देखूं तेरे आंसू ,तुम गिराना मत,
महफूज तुझे रखूं, जख्म छुपाना मत,
डराना मंजूर करूं , बस झुकाना मत,
हर डगर साथ हूं,न हराना हिम्मत ,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !

गिद्ध मैं ,
पहरा आजादी रखूं, गैर अंधेरे जाना मत,
इजाजत तुम से लूं गर, तुम इतराना मत,
उंगली इशारे चलूं गर, कदम बहकाना मत,
आदेश तेरे मानूं बेफिकर ,तुम भटकाना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !

उम्मीद मैं,
घुला बारीक बादलों में ,बेवजह बरसाना मत,
मिला शरीफ कातिलों में,हर जगह आजमाना मत,
पला गरीब आफतों में ,बेरुखी समझाना मत,
खिला दूं कमल सा,बेबसी कीचड़ उछालना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !

और अंत में,
सारा सम्मान झोली तेरी,मैं जी लूं जमाना की जिल्लत,
तिजोरी सा प्यार नहीं ,करूं तहखाना सी मोहब्बत,
अधूरा सा, बेकार नहीं, ईश्क फरमाना ही मकसद,
तू है तो जन्नत यहीं, चमक बतलाना ही ईबादत,

मैं फिर खुद जोड़ रहा, तुम उलझाना मत,
मैं जिगर बेहद निचोड़ रहा,जख्म सहलाना मत,
यूँ नींद इश्क की आंखों में,रहम खाना मत,
मैं खामोशी ओड रहा,  तुम सुलाना मत,
मैं जिद सी छोड़ रहा,कसम..उकसाना मत,
संभालो पूरा,तो आना,कम सुलझाना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !


Monday, September 3, 2018

happy teacher's day poem in hindi -शिक्षक दिवस पर कविता गुरु के सम्मान में -भाग दो -ARC Writings




हेलो दोस्तों अगर आप शिक्षक दिवस के लिए हिंदी की कविताएं ढूंढ रहे हैं ,तो आप इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं। यह मेरी दूसरी कविता है ,गुरुओं के लिए . इसमें मैंने शिक्षकों के ऊपर सुंदर सी और ज्ञानवर्धक हिंदी भाषा में कविता लिखी है।  जिसको आप अपने स्कूल में टीचर्स डे के अवसर पर प्रयोग कर सकते हो। यह कविता बिल्कुल नयी है।  जिसकी आप अभी से प्रैक्टिस कर सकते हैं।शिक्षक दिवस के अवसर पर, अपने स्कूल में परफॉर्म करने के लिए ।
यह कविता हिंदी में मैंने गुरुओं के सम्मान में,शिक्षक दिवस के लिए लिखी है । शिक्षकों के लिए, हिंदी में ,आप इस कविता के साथ धन्यवाद कर सकते हैं।

          शिक्षक दिवस (दुनिया) के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरु) को विशेष सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस आयोजित किया जाता है। कुछ देशों में, एक छुट्टी है जबकि कुछ देश इस दिन काम करते हैं।

तारीफ,तासीर ज्ञान सी छाया,  अगर आदर में कहूं,
रहम ना खाया,डर दिखाया, हर डगर निडर मैं बढूँ,
ख्वाब राजा बनने का दिखाया,कहकर अगर मैं पढूँ,
काबिल ऐसा बनाया, अब ज्ञान हरपहर नजर में गढूँ ,

बनाया बेखबर से,सरसरी खबर, ज्ञान आपके बिन बरबाद रहे,
शत शत नमन आपको ,आपका गुरुकुल चिर आबाद रहे !

करिश्मा से कम नहीं ,जो सुलझाया मुझे ,गुरुजी !
हारा सा जन्मा था,जीत की आदत आप से, शुरू की,
ज्ञान दिया था धीरे-धीरे ही ,ना दिखाई थी तेजी ,
वह गुरु ही होता है जो हिंदी में सिखा दे अंग्रेजी !

आपके क़दमों में मेरा सर,सर पर आप आशीर्वाद रहे,
शत शत नमन आपको ,आपका गुरुकुल चिर आबाद रहे !

कम ज्ञानी जन, निरंकुश अज्ञानी मन ,बहुत थे आस-पास,
जब से आया सोचना ,तमन्ना थी, बनूंगा कुछ मैं खास,
यूँ सीखा,मां से ममता, पिता से त्याग,मित्र से विश्वास,
बेजुबान पत्थर था मैं, बनाया आपने ,कोहिनूर के तराश ,
मुझे बनाया छोटे से बडा अक्षर ,मिटने तक मुझे याद रहे,
शत शत नमन आपको ,आपका गुरुकुल चिर आबाद रहे !

और अंत में,
मुझे संवारा बच्चे से ही अच्छे से, हर सांस शिछा ईजाद रहे,
बडा ना बनूँ गुरूओं से, मेरी, खुदा हुकूमत फ़रियाद रहे,

शत शत नमन आपको ,आपका गुरुकुल चिर आबाद रहे !

Friday, August 31, 2018

sad love poem in hindi-breakup lines|sad love poem in hindi for boyfriend and gf



sad love poem in hindi-breakup lines|sad love poem in hindi for boyfriend and gf
तुम सुनोगी तो, सुनाऊँगा हर किस्सा ढंग से,
बाहर ही खडे हैं, तुम उठ के आओ तो पलंग से !
कसरतें होती हैं यहाँ ,दर्दों को परख के, चख के,
हरकतें नशीली यहाँ दूर तो, खुद को रंगते जख्म से,
लिपटते रहते हैं कहाँ , हम खुद खामोशी से,
ये दिल, जो नफरतें निकलने न देता, हलक से !
तुम सुनोगी तो, सुनाऊँगा हर किस्सा ढंग से,
बाहर ही खडे है,तुम उठ के आओ तो पलंग से !


अश्क छलकाते नहीं,जरूरी नहीं,दर्दों कतार लगा दो,
खुद छलाँग लगा दें,दर्दे समंदर पता एक बार बता दो,
सजाये बेबसी कबूल ,न खुदी गले इनकार लगा लो,
बेफिक्र कहो प्यार नहीं,बैगम,न यूँ छुपकर दगा दो !
कम सुनोगी तो, दुहऱाऊँगा हर किस्सा ढंग से,
बाहर ही खडे हैं, तुम उठ के आओ तो पलंग से !


तुझसे शराफत सी मोहब्बत की तबीयत रही थी मेरी,
यूँ बदनाम सा,बे-फिकर रहना आदत रही थी तेरी,
बारिसे आंचल भीगा ,अश्क कहा, गदर थी हेराफेरी,
खुद से लुट गया तेरे वास्ते,तुझे आयी नजर थी कमजोरी,
गम करोगी तो, छुपाउँगा हर हिस्सा तुम से,
बाहर ही खडे हैं, तुम उठ के आओ तो पलंग से !


खत्म सफाई का दौर ,महंगी शिकायतेें ना करो हर बार,
सितम आ पड़ा,पूरी मजबूरियों का कहे मिले एक बार,
गजब का आंकड़ा,मेरी गलतियों का तेरे दिले दरबार,
मुहब्बते मुद्दे खंगालो ना अब,मुबारक तुम्हें नफरते  प्रचार !
जख्म भरोगी तो,तुझे रंगवाउँगा फिर मुझसा रंग से,
बाहर ही खडे हैं, तुम उठ के आओ तो पलंग से !


और अंत में ,
कह देते हैं आज तुमसे ,
खातिर ना बने ताज मुझसे !
मगर हर कण उकेर दूं ,तुझे ही नाम से,
फिर चलें इश्की आंधी,तेरे ही रियाज से !
मूँद सा संभाला ,एक पल का इश्क तुम्हारा ,
संदेह न करो,ईश्क लौटाउँ मैं ,साथ ब्याज के !
सनम बनोगी तो, सुनाऊँगा हर किस्सा ढंग से,
बाहर ही खडे हैं, तुम उठ के आओ तो पलंग से !

Monday, August 27, 2018

शिक्षक दिवस पर कविता -Teachers day poem in Hindi -ARC Writings


शिक्षक दिवस पर कविता  -Teacher's  day poem in Hindi -ARC Writings


 हेलो दोस्तों अगर आप शिक्षक दिवस के लिए हिंदी की कविताएं ढूंढ रहे हैं ,तो आप इस वीडियो को देख सकते हैं। इसमें मैंने शिक्षकों के ऊपर सुंदर सी और ज्ञानवर्धक हिंदी भाषा में कविता लिखी है।  जिसको आप अपने स्कूल में टीचर्स डे के अवसर पर प्रयोग कर सकते हो। यह कविता बिल्कुल नयी है।  जिसकी आप अभी से प्रैक्टिस कर सकते हैं।शिक्षक दिवस के अवसर पर, अपने स्कूल में परफॉर्म करने के लिए ।

यह कविता हिंदी में मैंने गुरुओं के सम्मान में,शिक्षक दिवस के लिए लिखी है । शिक्षकों के लिए, हिंदी में ,आप इस कविता के साथ धन्यवाद कर सकते हैं।


          शिक्षक दिवस (दुनिया) के कुछ देशों में शिक्षकों (गुरु) को विशेष सम्मान देने के लिए शिक्षक दिवस आयोजित किया जाता है। कुछ देशों में, एक छुट्टी है जबकि कुछ देश इस दिन काम करते हैं।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्ववल्ली राधाकृष्णन (5 सितंबर) का जन्म भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मैं नाजुक सा ही पहुंचा था ,गुरु आपके चरणों में ,
तरास के सजाया धुर्व सा तारा बीच सारे ग्रहों में ,
महफूज हैं बच्चे, सोच बरकरार हर नजर में,
गुऱू आपकी शरण में,हर माँ-बाप बेफिक्र घरों में!
हर गरीब नन्नी जान खातिर,
जो जी रहे अपमान से, बिन दौलत बेदखल ज्ञान से !
ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से,

मैं खाली श्यामपट सा,तस्वीर सी मियाद बढ़ा दी ,
गुरु कहूं या गुड, थी जिंदगी कडवी मिठास  बढ़ा दी ,
वरना कहां इतनी चाहत थी दिल में ,चमकने की,
वह आप थे गुरु, जो चिंगारी से पूरी आग जला दी!
हो बदनसीब पहचान जाहिर,
बुझते दिये जलें,दूर अज्ञान सा अँधेरा,बनें इन्सान से,
 ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से!

हैरान ना होना गुरु मेरे,गर कुछ पल ध्यान ना दूं ,
वह पल जीना दु-श्वर ,जिस पल सम्मान ना दूं,
यूं तगड़ी तादाद है ,बिगाड़ने वालों की मेरी गली में, सुनता सब के भाषण, ना एक शब्द भी योगदान दूँ,
हो गरीब करीब जान हाजिर,
करिश्मे से कम ना होगा, गर दूर की हताशा शान से,
ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से,


और अंत में,
आपकी सेवा में हाज़िर, आपकी दावते खातिर ,
दसक साल का कार्यरत बच्चा.... लगता है शातिर ?

ढाबा से मालिक ईम्तिहांन खातिर..
किताब साथ स्कूल दर्शन बहुत,
     ना अखबार में छपना ,ख्वाब दिखाओ !
साहब ! बिजनेस करना बाद में सीखेंगे ,
              पहले करना सही, हिसाब सिखाओ !
यूँ गरीब कह के, टालो ना अब किस्मत पर,
          अशिक्षा हो दूर, कुछ दम या दबाव बनाओ!


आप खुद गुरू,संकट दूर ना होते सिर्फ व्याखान से,
कुछ मेरे प्रयास से,आपके अभूतपूर्व योगदान से,
चाहत, निकले सूरज सा निर्धन, हर अँधेरे मकान से,
ढक दो एक एहसान से, बात कहनी थी सम्मान से !

मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! Hindi poem -ARC WRITINGS

मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !  नींद में , खुशी खोज रहा , गम मांगना मत , मैं सो रहा हूं , तुम जागना मत , मिलेंगे सपनों में , तु...