मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !
नींद में,
खुशी खोज रहा,गम मांगना मत ,
मैं सो रहा हूं, तुम जागना मत,
मिलेंगे सपनों में ,तुम सोचना मत,
देर हो जाए थोड़ी ,राह ताकना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !
हद में,
तेरे ख्वाब नाव से
तरेंगे ,दिले समुन्दर,
आंसू लहर देख ,बेवजह कांपना मत,
सजोऊँगा खुशियाँ
तेरी,डरके भागना मत,
मैं खो रहा हूं, खोजने झांकना मत !
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत !
कद में,
तुझसे छोटा रहूं ,कम आंकना मत,
अगर लिपटा रहूं ,तुम शर्माना मत,
दूभर होता रहूं ,तुम घबराना मत,
लौटूंगा होने रूबरू,लौट जाना मत ,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! ”
जिद में,
ना देखूं तेरे आंसू
,तुम गिराना मत,
महफूज तुझे रखूं, जख्म छुपाना मत,
डराना मंजूर करूं , बस झुकाना मत,
हर डगर साथ हूं,न हराना हिम्मत ,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! ”
गिद्ध मैं ,
पहरा आजादी रखूं, गैर अंधेरे जाना मत,
इजाजत तुम से लूं
गर, तुम इतराना मत,
उंगली इशारे चलूं
गर, कदम बहकाना मत,
आदेश तेरे मानूं
बेफिकर ,तुम भटकाना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! ”
उम्मीद मैं,
घुला बारीक बादलों
में ,बेवजह बरसाना मत,
मिला शरीफ कातिलों
में,हर जगह आजमाना मत,
पला गरीब आफतों में
,बेरुखी समझाना मत,
खिला दूं कमल सा,बेबसी कीचड़ उछालना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! ”
और अंत में,
सारा सम्मान झोली
तेरी,मैं जी लूं जमाना की जिल्लत,
तिजोरी सा प्यार
नहीं ,करूं तहखाना सी मोहब्बत,
अधूरा सा, बेकार नहीं, ईश्क फरमाना ही मकसद,
तू है तो जन्नत
यहीं, चमक बतलाना ही ईबादत,
मैं फिर खुद जोड़
रहा, तुम उलझाना मत,
मैं जिगर बेहद
निचोड़ रहा,जख्म सहलाना मत,
यूँ नींद इश्क की
आंखों में,रहम खाना मत,
मैं खामोशी ओड रहा, तुम सुलाना मत,
मैं जिद सी छोड़
रहा,कसम..उकसाना मत,
संभालो पूरा,तो आना,कम सुलझाना मत,
मैं सो रहा हूं, तुम जगाना मत ! ”
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