दोस्तों ! आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आप जो पढ़ने जा रहे हैं या आपने जो इस चेनल पर पढ़ा है ,वह आपसे पहले किसी ने न तो पढ़ा है न ही देखा है। क्योंकि पहले मैंने खुद ही लिखा है।
उम्मीद है !आपको पसंद आये मेरी लिखी हुई पंक्तियाँ।
(यह सारी की सारी लाइनें मैंने लिखी है।आप मेरे चैनल पर जाकर इनको चेक कर सकते हैं। )
पिता के ऊपर खूबसूरत कविता जो आपका दिल पिगला देगी।
हो रहा था मैं बड़ा,
पैरों पे अपने , हो रहा था खड़ा ।
पर पता ही ना चला।
कब, बनाने वाला हो रहा था बूढ़ा ।
मुस्कुराने वाले मेरी गलतियों पर,मेरी कमियों को छुपाने वाले ,
भगवान , लिया क्यों छुपा, नहीं और यहां उनसा रास्ता बताने वाले।
खयाल था खुशियों का,
समझाना उनका बेमिसाल था।
डर से कभी ,डर जाता मैं, बहलाना दिल बड़ा कमाल था।
हूँ तो वैसे उनसे
दूर , हैं अब वो कहाँ ,दिल मैं सवाल है।
हो सकता नहीं दूसरा
पूछने वाला,कि बेटा ! क्या हाल
है।
हंस के काटी गरीबी उन्होंने, हिस्से की रोटी अपनी बांटी।
बिन पैसे जीना ,बिन खुशी खुश रहना ,न सिखाई थी बर्वादी।
चले जाना अचानक ,ये आपकी तो नहीं ,खुदा की गलत चाल है।
खुदा से पूछना था,बनाया ही क्यों हमको, आना ही जब अंत काल है।
शक नहीं,बस याद
नहीं,सिखाया होगा ,ऊँगली से चलवाना।
गिरते ही उठाया
होगा, मुस्कुरा कर समझाया होगा,न फिर से गिरना।
बाहों में उठाना याद
नहीं मुझे,पर हर ठोकर पर उठाया होगा ,
फिर से न गिर जाऊँ
कहीं ,सद के चलना भी सिखाया होगा।
न सिखाई ,सीनाजोरी ,न चोरी , चतुराई बस सिखाई
होगी ।
चोट लगी होगी गलती से मेरी , जान के अपनी,खुद ही सहलाई होगी।
आ गया खुद से रोना, सिखाया आप ने था मुस्कुराना।
खुद रहते थे परवाने
से,सिखाया था मुझे चिराग जलाना ।
और अंत मैं ,
“पापा आपसे लगाव है
,
तभी
पसरा तनाव है ।
वरना दर्द दे मुझे ,
कहां , जहां में ऐसा घाव है ।“
जिक्र मेरे दर्द का
है ,ना समझना प्यार की उम्मीद है ।
लोग कहते वह गुजर
गए,जिंदा रखना मेरी ज़िद है ।
खाना खिलाना-बनवाना सिखाया ,खुद खाना भूल गए।
बनाके काबिल,भेज
दिया मंजिल को , खुद आना भूल गए ।
याद है ,कमाना दौलत
दान के लिए ,
रखना खुले दरवाजे,हर इंसान के लिए |
how you feel..?
ReplyDeletetell me.
Respect your parents .