15 अगस्त के लिए देशभक्ति शायरियां बिल्कुल नयी।
न उजड़ने दूंगा तुझे
फिर से,वतन ! खातिर बैठा हूं सरहद पर ,
ख्वाहिश नहीं
आजमाइश है ,सर न झुकने दूँ तेरा हर कीमत पर !
खुशबू मेरी वतन की
मिट्टी , हिंदुस्तान मेरी निशानी है ,
कर्ज है मुझ पर वतन
का ,हर बार जान अपनी लुटानी है।
जीना ! वतन सलामती
खातिर ,बेबजह न मरना सलामी खातिर ,
जब चाहे बुलाना वतन
,तेरे खातिर जिंदगीभर मेरी गुलामी हाजिर।
रखवाली तेरी वीरता
से ,गंभीरता से है , तिरंगे उड़ जितना
उड़ना ऊँचा है ,
कहां छोड़े वो ,मुँह छुपाने लायक भी ,जो हाथ सोचते , या झुकाने पहुंचा है।
मुझे गद्दारी ना
सिखा ,मेरा घर ,हाँ ! दर्द के बादलों के ही पास है ,
रहने दे
नजदीक आजाद वतन के , दौलत तो दुश्मनों के भी पास है।
सीने में बहने दे
नदियों सी देशभक्ति ,खून मेरे वतन पर चढ़ा देना ,
वतन का नाम हो
बुलंद,नींव मजबूत ,कुछ हिस्सा मेरा भी लगा देना।
कफन तिरंगा हो मेरा
,चाहत कुछ और अमीरों सी नहीं ,
न छूने देना कफन
मेरा ,इरादे जिनके नेक वीरों से नहीं।
और अंत में ,
हिंदू-मुसलमान करना
यहां पर, हरगिज़ नहीं ,
ना उपजे देशभक्ति
दिल में, हिंदुस्तान में ऐसा बीज नहीं।
तू गद्दारों की टोली
उगाता,तभी जगह तेरी बदनाम है ,
यह धरती है वीरों
की ,यहां कहीं गाँधी है, कहीं कलाम है।
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