ये
शायरी मैंने अपने देश के नौजवानों को जो कि अपना रास्ता भटक गए हैं उनको
सही रास्ते पर लाने के लिए लिखी है ताकि वह अपने देश की उन्नति में अपना हाथ
बडायें और अपने देश का सम्मान करें। अपने देश की इज्जत का ख्याल रखें, उसे बढ़ाते रहें खेलकर या पढ़ कर या कुछ अच्छा करके क्योंकि
अपने देश से अच्छा कुछ भी नहीं है|
१-ना वो देशभक्ति जाती है,जवान तो हैं पर रहना चौड़ी छाती ,
देश भक्ति करनी नहीं और ना ही दुश्मन दुश्मन
बनने पर है राजी,
कैसे
कहूं सब को देशद्रोही जान लो जिसकी है चालाकी ,
हिंट दूँ
तो मिलेगा, एक -दो
जयचंद,एक -दो काजी।
२-खेत हरा हो तो कट जाता है, कट जाती है पीली सरसों,
अगर घर
होता है रंगबिरंगा बाग़ सा, तो चलता है बरसों,
ढका था
केसरिया, फिर हरा, बाद में सफेद तो परसों,
ना पाया ,जब ढूंढा खुद को ,मंदिर ,चर्च ,गुरुद्वारा, मदरसों।
३-इंसान यह तेरी जरूरत है या नाटक ,या क्या कहूं हुडदंग,
करता है तू,
फिर क्यों हो जाते हैं मेरे अंग भंग,
काटा था सोचकर,
होगी एक तरफ अजान ,दूसरी तरफ भजन सत्संग,
भजन सत्संग तो दूर ,नादान मां से ही कर बैठा
जंग.
४-अहिंसा के पुजारी, एक बात थी मेरे मन में ,
नहीं देखना था खून ,तो रह जाते कटे वतन में,
रह जाते
उधर तो, जानते अंतर वो दोस्त और दुश्मन में,
शायद उनको भी महसूस होता गर्व ,कहने , जन गण मन में.
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