Friday, June 29, 2018

देशभक्ति शायरी भाग 1 -ARC writings


-दुश्मन आती होगी कला तुझे यह मिट्टी मेरी बांटने की,
 सीख चुके हुनर हम भी तो तुझ जैसी मिट्टी दफनाने की|

-समय से, जुड़ने दे जमीन से, मरुँ तो महके  मिट्टी सा बदन,
 फिर बिखेर  देना बदनाम चौराहों, बढे शायद देशभक्ति का चलन |

-खातिर कुर्सी देश बाँटा। बाँटा धर्म में, फिर से जातिवाद में ,
संभालो यारो, आदत है उसे, कल से काले गोरे ना बाँट दे बाद में|

-है घमंड उसे, करके खंड, राज करेगा फिर से हमारी जायदाद में,
 कर-कर के छोटा, कर देगा खोटा ,कैसे रहेंगे साथ तुम, आजाद में|

-क्या पता उनको भरती  पेट मां,आंसुओं से आटा गूथ के ,
कहते किसान खुद को,बो  देते फिर क्यों बीज छुआछूत के|

-शौर्य मां पद्मावती ,झांसी सा  नहीं ,वो मजाक बना रहे भूत के ,
मेरे भाई अब तो जाग, कहीं फिर से ना चले जायें  वो , लूट के।

-टायटल अहिंसावादी ,सोच अलगाववादी, ना बढ़े  देश ,चाहते ये  नसबंदी ,
फिर षड्यंत्र रच रहे तोड़ने को देश, लेकर वही सोच पुरानी गंदी|

-लगाते तड़का, हार्दिक, जिग्नेश ,अल्पेश सोचते तेरी मेरी सोच अंधी ,
  दोस्त वक्त से सीख ले तूफानों से लड़ना, इससे पहले आए गद्दारों की आंधी।

-सफाई हमारी नाकामी या  दुश्मन की सही चाल है ,
हां ,करने की आदत नहीं पर साफ़ रहने का ख्याल है
आंखों पर चश्मा,-ऊपर जाल, काट दो निकली धूप है
फिर से घिस के , दिखा दें , भारत कितना सुंदर रुप है|

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