-दुश्मन आती होगी
कला तुझे यह मिट्टी मेरी बांटने की,
सीख चुके हुनर हम भी तो तुझ जैसी मिट्टी दफनाने की|
-समय से, जुड़ने दे
जमीन से, मरुँ तो महके मिट्टी सा बदन,
फिर
बिखेर देना बदनाम चौराहों, बढे शायद
देशभक्ति का चलन |
-खातिर कुर्सी देश
बाँटा। बाँटा धर्म में, फिर से जातिवाद में
,
संभालो यारो, आदत है उसे, कल से काले गोरे ना
बाँट दे बाद में|
-है घमंड उसे, करके
खंड, राज करेगा फिर से हमारी जायदाद में,
कर-कर के छोटा, कर देगा खोटा ,कैसे रहेंगे साथ तुम, आजाद में|
-क्या पता उनको
भरती पेट मां,आंसुओं से आटा गूथ के ,
कहते किसान खुद को,बो देते फिर क्यों बीज छुआछूत के|
-शौर्य मां
पद्मावती ,झांसी सा
नहीं ,वो मजाक बना रहे
भूत के ,
मेरे भाई अब तो जाग, कहीं फिर से ना चले जायें
वो , लूट के।
-टायटल अहिंसावादी ,सोच अलगाववादी, ना बढ़े देश ,चाहते ये नसबंदी ,
फिर षड्यंत्र रच रहे तोड़ने को देश, लेकर वही सोच पुरानी गंदी|
-लगाते तड़का,
हार्दिक, जिग्नेश ,अल्पेश सोचते तेरी
मेरी सोच अंधी ,
दोस्त वक्त से सीख ले तूफानों से लड़ना, इससे पहले आए
गद्दारों की आंधी।
-सफाई हमारी नाकामी
या दुश्मन की सही चाल है ,
हां ,करने की आदत नहीं पर साफ़ रहने का ख्याल है,
आंखों पर चश्मा,-ऊपर जाल, काट दो निकली धूप है,
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